आज भारत एक राजनैतिक संकट में फंस गया है और फंसते ही जा रहा है। ऐसा क्यों हो गया है और क्यों हो रहा है ?
एक तरफ तो दलीय राजनीति के कारण अनेकानेक दल बन गए और राजनीति,संसद,विधानसभाएं दल-दल का रूप ले चुके हैं तो दूसरी तरफ सभी दलों के हाईकमान छिछोरे तानाशाह बन गए हैं। भयानक उठा पटक चल रही है। यदि यही स्थिति बनी रही तो भारत को निकट भविष्य में आर्थिक,सामाजिक,सामरिक संकटों की चपेट में आने से बचाना मुश्किल हो जाएगा। अब आपका मतदाता धर्म यह बनता है कि आप विद्यार्थी आन्दोलन के माध्यम से राष्ट्र को इस संकट से मुक्त कराएं।
1.निर्दलीय राजनीति में आने के लिए ईमानदार,समझदार और आत्मविश्वास से भरपूर नवयुवा आगे आयें।
2.मतदाता सिर्फ निर्दलीय और अपने-अपने क्षेत्र के स्थायी निवासी को ही चुनें।
3.एक ही चुनाव क्षेत्र से जो-जो व्यक्ति आगे आयेंगे उनमें से चुनाव में तो एक ही व्यक्ति खड़ा होगा पायेगा लेकिन चुनाव के पहले और बाद में हमेशा सभी मिलकर अपने ज़िले और तहसील के विकास के लिए एकजुट होकर काम करें।
यह काम आप बिना किसी विषमता में फँसे, दैनिक कार्यों में लगे हुए कर सकते हैं।
यहाँ मैं उत्तिष्ठ भारत नहीं पार्थ का आह्वान कर रहा हूँ,अर्थात सभी पृथ्वीपुत्रों का अतः उन सभी विद्यार्थियों से भी कहना है जो विश्वभर में फैले हैं। भारत यदि बर्बाद हो चुका होगा,भले ही भारतीयों के कारण ही हो,तब भी वैश्विक स्तर पर सभी का नुकसान होगा। क्योंकि तब विश्वभर में आर्थिक संकट के कारण के परिणाम स्वरूप होने वाले गृहयुद्धों और तीसरे और इस कल्प के अन्तिम विश्वयुद्ध की त्रासदी से विश्व को सुरक्षित बचाने वाला कोई भी नहीं होगा। क्योंकि विश्वभर में भारत ही एक मात्र ऐसा राष्ट्र है जो देश के देशी लोगों की सेना द्वारा सामरिक रूप से सुरक्षित है। अन्य सभी राष्ट्रों के सैनिक मात्र नौकरी के लिए सेना में भर्ती होते हैं जबकि श्रीराम,बलराम और परशुराम का भारत सामरिक रूप से सुरक्षित होकर ग्रामीणों वाले गणराज्य और वर्षावनों वाले भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था के कंधे पर सुरक्षित बैठा इतरा रहा है।
इस इतराने का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि अभी अभी भारत के प्रधानमंत्री जब यूरोप व् अमेरिका की खस्ता हालत में भारत को नुक्सान पहुँचाकर भी उनको आर्थिक मंदी से उबारने का समझोता करके,या आश्वासन दे कर मीटिंग से बाहर निकलते हैं पत्रकारों से मिलते है तो अपनी बेशर्म हार को भी जीत मानते हैं और विक्ट्री के संकेत वाले आकार में दो अंगुलियाँ चौड़ी करके जीत का संकेत देते हैं और संसद में कभी भी नहीं मुस्कुराने वाले अपने अमेरिकी आकाओं को खुश करके, राफाँ चौड़ी करके मुस्कुराते हैं। क्योंकि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसकी भूमि धन उपजाति है अतः हम समझोते के अनुसार अपनी मुद्रा का अवमुल्यन करके,महँगाई बढाकर भी अमेरिका और यूरोप को एक ऐसे आर्थिक संकट से निकालने का भरोसा दिला देते हैं जो आर्थिकसंकट कभी भी दूर नहीं हो सकता। क्योंकि उनका अर्थशास्त्र निर्माण पर चलता है उत्पादन पर नहीं। अतः इसे इतराना ही कहा जायेगा।
वैश्विक आन्दोलन बनाकर विश्व का समर्थन मांगने के दो कारण है एक तो यह की भारतीय विद्यार्थी भी इतने अधिक हीन भावना से ग्रसित हैं कि विश्व जनमानस का दबाव पड़ेगा तो वे आत्मविश्वास में आयेंगे। दूसरा कारण है यह पूरी परियोजना उत्पादन के अर्थशास्त्र पर है और यह हमेशा ध्यान में रहे कि निर्माण के लिए कच्चामाल प्राकृतिक उत्पादन ही होता है, अतः भारत विश्व को ऐसा उत्पादन निर्यात करेगा, जो आहार की आवश्यकता की पूर्ति भी करेगा तो औद्योगिक इकाईयों के लिए कच्चामाल भी उपलब्ध कराएगा और चूँकि भारत जनसख्या [उपभोक्ता संख्या] के मामले में भी विश्व का ऐसा सबसे बड़ा देश बनेगा जिस के ग्रामीणों की क्रयक्षमता भरपूर होगी अतः औद्योगिक इकाईयों में निर्मित सामग्री का भरपूर आयात करेगा अतः भव्य महाभारत निर्माण का यह आन्दोलन वैश्विक हित में होगा।
जो वर्तमान का विद्यार्थी होता है वह निसन्देह भविष्य का ब्राह्मण यानी Brain of society होता है, लेकिन वर्तमान की व्यवस्था में आप भविष्य के शुद्र [नोकर] अथवा दास [वेतनभोगी बंधवाँ मजदूर] अथवा किसी यक्ष के अनुबंध में बंधकर यानी किसी व्यापारिक मालिक के लिए दिनरात काम करते रहने वाले भूतगण इत्यादि ही तो बनने जा रहे हैं। जबकि भारत ही धन उपजाने वाला एकमात्र ऐसा देश है जो एक ऐसी व्यवस्था बनाने में सक्षम है जिस व्यवस्था में सभी साधारण एवं विशिष्ट,व्यक्ति हों अथवा समुदाय,स्व का तन्त्र बनाकर स्वतन्त्र और स्व के अधीन रह कर,स्वाधीन होकर, आत्म-संतुष्टि,कार्य-संतुष्टि और कल्याणकारी कार्यों को करने वाले ब्राह्मण बन कर सुख से रह सकते हैं।
ऐसी स्थिति में क्या? आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि,भारत को विदेशी प्रशासन से स्वतन्त्र कराने वालों ने जो संघर्ष किया उस संघर्ष की तुलना में आपका यह संघर्ष तो कुछ भी नहीं है कि आपको आपस में मिलकर अपने क्षेत्र का स्वतन्त्र,निर्दलीय,दलदल से मुक्त रहने वाला,सही मायने में, जनप्रतिनिधि चुनना है।
लेकिन इसके समानान्तर एक दूसरी सच्चाई भी है कि परस्पर भाईचारे के साथ सृजनात्मक कार्य करने के लिए धेर्य + उत्साह + समन्वय त्रिआयामी गुण चाहिए जबकि मात्र विरोध करने के लिए तो, मात्र आवेश से ही काम चल जाता है अतः डगर सरल होते हुए भी कठिन दिखाई देती है और नजदीक होते हुए भी दूर दिखाई देती है।
अतः यदि आप विद्यार्थियों के लिए राजनेताओं की तरह सुख की परिभाषा; परस्पर आलोचना करना,एक दूसरे को नीचा दिखाना और परपीड़क Sadistic बनना ही है तब तो आप इस व्यर्थ प्रतिस्पर्धा वाली शिक्षा-परीक्षा प्रणाली में लिप्त रहें लेकिन यदि आप अपना और अपनी संतति के भविष्य को सुरक्षित,संरक्षित और आनंददायक बनाना चाहते हैं अर्थात अपने भावी जीवनकालों को आनन्ददायक बनाना चाहते हैं तो इस आन्दोलन को भी आनंद के साथ लक्ष्य पर पहुँचाने का पराक्रम दिखाएँ।यदि आपने यह सोचकर इसकी अवहेलना की कि हमें अपनी पढाई में ध्यान देना है राजनीति के दलदल में नहीं जाना है तो मानकर चलें कि राजनीति का यह दलदल पूरी सभ्यता संस्कृति को ही दलदल बना देगा।
2014 के आगामी आमचुनावों में आप [विद्यार्थी समुदाय] ही एकमात्र आशा की किरण हैं जो भारतीय संसद को दलदल मुक्त कर सकते हैं। यदि समय रहते सजग नहीं हुए तो नारकीय जीवन जीने को तैयार रहें।
उत्तिष्ठ पार्थ !
हे पार्थ [पदार्थ से बना पार्थिव शरीर] उठ खड़ा हो जा!
चारों तरफ विषमता, तुम सम लिए पड़े हो।
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?
युवा हो,बौद्धिक बल है, जीवन पड़ा है बाक़ी। युग है प्रजातंत्र का, तुम खामखाँ डर रहे हो।
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?
धरती भरी है सुख साधनों से, सिर्फ अव्यवस्था के कारण, अभाव भुगत रहे हो।
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?
मुद्रा तो व्यवस्था का मानवनिर्मित है साधन , तुम्हारे पास बुद्धि है, प्रकृति के अनुग्राही हो ।
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?
उपयोग करो बुद्धि का, प्रयोग करो संपर्कों का, संगठित हो जाओ युवाओं, क्यों देर कर रहे हो ?
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?
धर्म करो धारण, साथ में लो शिक्षा, किनारे करो साम्प्रदायिक गुरुओं को।
भगवान् के नाम पर क्यों शैतानों से डर रहे हो !
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?
शास्त्र कहते हैं, अधिकार के लिए, शस्त्र उठाना धर्म है तुम्हारा।
Ballot से Bullet को नीचा प्रमाणित कर दो
खड़े हो जाओ पार्थ ! क्यों तनाव भुगत रहे हो ?