जम्बू द्वीप (एशिया) का वह भू-भाग है जहाँ की धरती पर सूर्य की गर्मी (भारती नामक अग्नि) के साथ इंद्र (मानसून) नियमित आता है। अतः जब वहाँ वनस्पति-साम्राज्य (Plant - Kingdom),प्राणी-साम्राज्य (Animal Kingdom) एवं मानव-साम्राज्य (Human-Kingdom); तीनों में अपनी विविध प्रकार की जातियों की प्रजा (प्रजातियों Species,नस्लों) के साथ प्राकृतिक वैभव का एकमात्र स्थान बचा था(इस कारण उस क्षेत्र का नया नामकरण भारत-वर्ष हुआ);उस समय लिखे गए महाभारत काव्य की ऐतिहासिक कथा में एक घटना है।
कौरवों से जुए में हार कर पाण्डव वचन( अनुबंध agreement ) में बँधे अज्ञातवास में थे तब एक बियाबान जंगल में रुके हुए थे। प्यास लगने पर भीम नदी से पानी लेने गया। ज्योंही भीम पानी भरने लगा, एक आवाज़ आई,रुको! भीम ने आवाज़ की तरफ़ देखा तो एक यक्ष व्यापारी दिखाई दिया। व्यापारी ने पानी भरने का पेमेन्ट माँगा और कहा-
यक्ष :-मैंने इस नदी का अधिकार ख़रीदा हुआ है। अतः तुम्हें शुल्क देने पर ही पानी मिलेगा।
भीम:- मेरे पास मुद्रा नहीं है,लेकिन मुझे पानी चाहिए। मेरे भाई और माता प्यासे बैठे हैं,तुम मुझ से पानी के बदले में काम करवा सकते हो।
यक्ष :-मेरे पास करवाने को कोई भी काम नहीं है लेकिन चूँकि तुम प्यासे हो अतः एक तरीक़े से सौदा बैठ सकता है। मैं तुमसे चार प्रश्न करता हूँ। तुम उत्तर दे सके तो पानी ले जा सकते हो लेकिन यदि उत्तर सही नहीं हुए तो तुम मेरे बंदी माने जाओगे।
भीम के रज़ामंद होने पर यक्ष ने चार प्रश्न किये,जिनका भीम सही उत्तर नहीं दे सका। भीम के काफ़ी समय तक वापस नहीं पहुँचने पर अर्जुन आया। फिर एक-एक करके नकुल,सहदेव और अंत में युधिष्ठर भी आ गये। चार प्रश्न थे उन प्रश्नों के चारों ने अलग-अलग उत्तर दिए। ये उत्तर उन चारों की मानसिकता दर्शाते हैं।
लेकिन प्रश्नकर्ता धर्मराज (न्यायाधीश) था। जो यक्ष (अनुबंध पर काम करने कराने वाले व्यापारी) के भेष, वेशभूषा(Dress Code) में था। उसने नैतिक मनोवैज्ञानिक प्रश्न पूछे।
प्रश्न :-मनुष्य का सर्वाधिक आश्चर्यजनक आचरण क्या है ?
उत्तर :-मनुष्य प्रतिक्षण किसी न किसी जीव को मरते देखता है। फिर भी वह अन्त तक ऐसा व्यवहार करता है जैसे कि वह तो कभी भी नहीं मरेगा।
इस मनोविज्ञान का दूसरा पक्ष यह भी है कि यदि हम हर पल मरने की सोचने लग जाएँ तो हर पल निराशा, आशंका और उदासीनता से घिरे रहेंगे। अतः हमारी प्रकृति हमें वर्तमान में बाँधे (सती किये) रहती है।
यहाँ एक प्रश्न यह भी पैदा होता है कि कुछ लोग आख़िर अधिक से अधिक जीना क्यों चाहते हैं ?
कुछ लोग फिर (पुनः) पैदा होना क्यों चाहते हैं ?
कुछ लोग पूछते हैं कि यह जगत,जिस में दुःख ही दुःख है। इस जगत को क्यों और किसने बनाया!
अतः सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बिंदु या इन प्रश्नों के उत्तर हैं कि जीव जब पैदा होता है तो एक लक्ष्य लेकर पैदा होता है। उस लक्ष्य को जो व्यक्ति प्राप्त कर लेता है और प्राप्त करना जान जाता है, वह अधिक से अधिक जीना और पुनः पुनः पैदा होना चाहता है।
लेकिन जो उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता वह इस बात पर चिंतन करता है कि यह जगत जिस में दुःख ही दुःख है इस जगत को क्यों और किसने बनाया।
उस लक्ष्य के बारे में एक मूर्ख लकड़हारे कालिदास ने,जो ज्ञात इतिहास का सबसे पहला और सबसे बड़ा नाट्य लेखक बना था ने कहा!
मनुष्य जीवन का एक ही लक्ष्य होता है।
'सुख की प्राप्ति'
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