आज हम विरोधाभासी कालखंड में जी रहे हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं का अम्बार लगा होने पर भी विषमताएँ आ जाने से जीवन में सुख-शान्ति नहीं है। एक तरफ़ बोलने की आज़ादी के साथ मतदान द्वारा उचित प्रतिनिधि चुनने की स्वतंत्रता एवं सुविधा है फिर भी हम विषमताओं को निरन्तर बढ़ते हुए देख रहे हैं और सम धारण किये बैठे हैं।
वार्ताएं चर्चाएँ होती हैं लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकालता। चूँकि सभी लोग विषय-विशेषज्ञ हो गए हैं अतः सभी का निजी दृष्टिकोण रहता है। इस कारण चर्चाएँ, कलह का रूप ले लेती हैं उसके बाद भी उनका अपने एकतरफ़े दृष्टिकोण के प्रति भाव बना रहता है। इस स्थिति में आज आवश्यकता है एक समग्र दृष्टिकोण की; तत्पश्चात सामाजिक-धार्मिक-आर्थिक व्यवस्था के साथ प्रशासनिक-व्यवस्था-प्रणालियों की ऐसी रूपरेखा(design) तैयार करने की जिससे सभी विषयों में आ चुकी विविध प्रकार की विषमताएँ सम में आप्त(समाप्त) हो जाएँ तत्पश्चात आवश्यकता है एक किनारे से नवभारत निर्माण करने की। तब जा कर यह नर्क, स्वर्ग में बदलेगा।
इसके लिए अपने अन्दर भी धैर्य एवं उत्साह बनाए रखने के साथ सकारात्मक हो कर यह भी दिमाग़ में रखना होगा कि चलाकर कोई भी व्यक्ति बेईमान नहीं बनना चाहता है,सबकुछ परिवेश-परिस्थिति एवं प्रणाली की देन है। अतः एक बड़ी वेबसाईट बनाने से पहले इस ब्लॉग श्रृंखला के माध्यम से उन सनातन सिद्धांतों को सामने रख रहा हूँ जो ना तो मेरे व्यक्तिगत विचार हैं और ना ही ये कभी अप्रासंगिक होते हैं और ना ही इनको समझने के लिए बहुत पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी है क्योंकि ये विचार,सोच,अवधारणाएँ श्रुति-परंपरा से ज़िंदा रहते हैं। अतः आप उचित समझें तो समग्र दृष्टिकोण,नज़रिये, Attitude, point of view, composite-approach को विकसित करने के लिए एक वैचारिक आन्दोलन का रूप दे सकते हैं:-
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए! किन्तु कहने सुनने से दुनिया बदलती ग़ालिब तो कब की बदल चुकी होती!
अतः एक तरफ़ तो उभयपक्षी तथ्यों को सम करने के परिप्रेक्ष्य में वैचारिक विरोधाभास दूर करने होंगे तो दूसरी तरफ त्रिआयामी व्यवस्था-प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन हेतु क्रमबद्ध कार्यक्रम की रूपरेखा भी बनानी होगी और न सिर्फ़ रूपरेखा बनानी होगी बल्कि क्रमबद्ध कार्यक्रम शुरू भी करना होगा तब जाकर नवभारत निर्माण हो पायेगा। अब भारत सिर्फ़ सत्ता हस्तांतरण नहीं बल्कि स्व का तंत्र बनाने की स्वतंत्रता का क्रांतिकारी आन्दोलन माँगता है।
यह काम सिर्फ विद्यार्थी आन्दोलन से ही सम्भव है।
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